रविवार, 19 जनवरी 2020

Republic Day SMS In HIndi


गणतंत्र दिवस 2020 देशभक्ति मेसेज व अनमोल वचन



वतन की सर बुलंदी में 
हमारा नाम शामिल 
गुज़रते रहना है हमको सदा
ऐसे मुकामो से जय हिन्द


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वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की
तोड़ता है दीवार नफरत की
मेरी खुश नसीबी मिली ज़िन्दगी इस चमन में .
भुला न सके कोई इसकी खुशबु सातों जनम में


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आजादी का जोश कभी काम न होने देंगे
जब भी ज़रुरत पड़ेगी देश के लिए जान लुटा देंगे .
क्यों की भारत हमारा देश है अब दोबारा 
इस पर कोई आंच न आने देंगे .जय हिन्द 

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मेरा मुल्क मेरा देश मेरा
यह वतन शांति का उन्नति का
प्यार का चमन ..हैप्पी रिपब्लिक


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गाँधी स्वप्ना जब सत्य बना
देश तभी जब गणतंत्र बना
आज फिर से याद करे वह मेहनत
जो थी की वीरो ने और भारत गणतंत्र बना


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चलो फिर से खुद को जागते है
अनुसासन का डंडा फिर घूमाते है
सुनहरा रंग है गणतंत्र का सहीदो के लहू से
ऐसे सहीदो को हम सब सर झुकाते है


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मेरे देश का मान हमेशा बनाये रखूँगा
दिल तो क्या जान भी इस पर निछावर करूँगा
अगर मिले मौका देश के काम आने का

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तो बिना कफ़न के ही देश के लिए सो जाऊंगा 
गुल को गुलशन मुबारक हो 
चाँद को चांदनी मुबारक हो 
शायर को शायरी मुबारक हो
और हमारी तरफ से आप को 
रिपब्लिक डे मुबारक हो




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कुछ नशा तिरंगे की आन का है
कुछ नशा मातृभूमि की शान का है
हम लहरायेंगे हर जगह ये तिरंगा 
नशा ये हिंदुस्तान की शान का है


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छड़ गए जो हँसकर सूली  
खाई जिन्होंने सीने पर गोली
हम उनको परनाम करते हैं
जो मिट गए देस पर हम 
उनको सलाम करते हैं 


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चलो करे देश का काम मिलकर 
आओ बनाए देश का नाम मिलकर
देश रहे आबाद हम बने आज़ाद
बोलो वंदे मातरम साथ मिलके 


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जिनकी चिताओ से हुआ कल्याण हिंदुस्तान का !
उन्ही की आत्माओ में बसा हे प्राण हिंदुस्तान का' I
यशगान उनकी वीरता कुर्बानियों का कर वतन !
निज रक्त से जो कर गये निर्माण हिंदुस्तान का !


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वीरों के बलिदान की कहानी हैं ये
 माँ के कुर्बान लालो की निशानी हैं ये
यूँ लड़ लड़ कर इसे तबाह ना करना
देश हैं कीमती
उसे धर्म के नाम पर नीलाम ना करना



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ना जियों धर्म के नाम पर
ना मरो धर्म के नाम पर
इंसानियत ही हैं धर्म वतन का
बस जियों वतन के नाम पर

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न पाल हिन्दू मुस्लिम का बैर
मेरी माँ के प्यार को न बना इतना गैर
उसके दिल में सभी समान हैं
सब मिलकर रहे इसी में उसकी शान हैं


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दिल के तार जुड़ गए हैं उससे
बेवफाई ना होगी मुझसे
उसकी भक्ति में ही सुकून हैं
ऐ भारत माँ क्या तूझे मेरा मस्तक कुबूल हैं


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